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हुक्का

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नमस्कार, आप सभी को,हुक्का बिलकुल आम है, शहरो मै तो यह बहुत कम दिखता होगा, शायद उन्ही जगह पर जहां लोग गांव से आये हो ओर साथ मै कुछ यादे ले आये,हुक्का कहने मात्र को ही एक हुक्का है लेकिन इस के साथ एक बहुत बडी समाज कि वय्वस्था जुडी है.

यहां जर्मनी मै , मेरे कई जान पहचान के जर्मन लोग भारत के बारे बहुत सी बाते जानना चाहते है, ओर जिन्हे सही लेकिन सच ओर साफ़ शव्दो मै बताना कई बार कठिन होता है, ओर कई बातो को समझाना बहुत मुश्किल होता है, एक तरफ़ हमारा देश जिस की बुराई हम से बर्दास्त नही होती, हम भारत वासी आपस मै लाख बात करे बुरा नही लगता, लेकिन जब कोई विदेशी भारत के बारे गलत बोलता है तो हम तिलमिला जाते है, हम क्या हमारे बच्चे भी भारत के बारे गलत नही सुन पाते, ओर हम अपनी बुराई को भी अच्छाई का जामा पहना कर इस तरह बताते है कि सामने वाला चुप हो जाता है.

कुछ समय पहले दोस्तो ने पुछा कि आप के यहां सिगरेट पीते है? शराब पीते है? वगेरा वगेरा....तो मेने कहा जो बुराईया इस समाज मै है वो बुराईया हर समाज मै होती है, ना आप दुध के धुले है ओर ना हम ही, अच्छे बुरे लोग हर समाज मै होते है... तो बातो के बीच मुझे हुक्का याद आ गया, वेसे तो मेरे घर मै आप को हाथ से हवा करने वाला पंखे (पखीं) से लेकर कुंडी सोटा( चटनी ओर मसाले पीसने वाला ) मिलेगा, ओर बहुत सी चीजे जो आज भारत से गायब होचुकी है एक ढोलक, मंजिरे, यानि आधा घर भारत से ही भरा है एक भारत का झंडा जिसे बच्चो ने अपने कमरे मै लगा रखा है.
तो बात चली हुक्के से, मेने इन लोगो को बताया कि हमारे यहां तम्बाखू को पीने के लिये यह सिगरेट तो बहुत बाद मै आई, ओर यह सिगरेट बहुत सी बिमारियो का घर भी है, हमारे देश मै पहले पतो से बनी बिडी आई, ओर उस से पहले हुक्का, जिस का कोई इतिहास नही, लेकिन यह हुक्का सिर्फ़ तम्बाखु पीने के काम ही नही आता, वल्कि समाज को एक कानुन मै बांधने के काम भी आता है? अब इन जर्मनो को यह बात बहुत अलग सी लगी कि एक चीज जो नशे के रुप मै है वो समाज को केसे सुरक्षा दिला देगी.

तो मेने इन्हे बताया कि हुक्का अकसर गांव मै पिया जाता है, एक हुक्के को एक नही दस दस लोग बेठ कर पीते है, ओर जो धुआं आता है वो पानी से फ़िलटर हो कर आता है, ओर जब यह हुक्का गांव की पंचायत या चोपाल पर या किसी के घर पिया जाता है तो वहां सारे गांव की बाते होती है, झगडे भी निपटाये जाते है, ओर जो भी व्यक्ति गांव की मर्यादा के अनुसार नही चलता उसे समझाया जाता है, अगर वो ना समझे तो उस का हुक्का पानी बन्द कर दिया जाता है, यानि वो गांव मै तो रहता है लेकिन उस से सब बोल चाल बंद कर देते है, जिसे आम भाषा मै कहते हे हुक्का पानी बंद.ओर तब तक उस आदमी को कोई नही बुलाता जब तक वो अपनी गलती ना मान ले.अगर वो हुक्का पीने आ जाये तो कोई उसे हुक्का नही देता .
यानि उस का समाजिक तॊर पर बहिष्कार, ओर ऎसा गांव की मरयादा को बचाने के लिये किया जाता है, फ़िर इन्हे बताया कि हमारे यहां बहुत से ऎसे कानून लोगो ने बना रखे है जो किताबो मै नही, लेकिन हमारे दिल ओर दिमाग पर लिखे है, भारत मै ऎसे कई गांव मिल जाये गे जहां आज तक पुलिस नही आई

इस लेख को जो भी आप नाम देना चाहे दे.....

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यह लेख कोई कहानी नही, एक सच्ची बात है जो मेरे संग बीती, लेकिन मेरे पास इसे कोई नाम नही जो दे सकूं...

यह कहानी आज से नही करीब २५,२६ साल पहले शुरु होती है, उस समय मेरी शादी नही हुयी थी, ओर मेरे पास एक कमरा था साथ मै एक किचन ओर बाथरुम  था, मेरे लिये कमरा बहुत उचित था, मै उन दिनो अकेला रहता था, शाम को कभी दोस्त मित्र आ जाते, ओर शुक्र वार ओर शनिवार को ज्यादा तर बाहर ही रहता, मस्ती भरे दिन फ़िक्र ना फ़ाका,कमरे का किराया बहुत कम था, आमदन बहुत थी, खुल कर खर्च करना, ओर खुल कर पेसा घर भेजना, लेकिन मेरी एक आद्त बहुत खराब है मै हर किसी की मदद जरुर करता हुं.

ओर इसी आदत के कारण कई लोगो ने मुझ से पेसे उधार लिये ओर आज तक दिये नही, फ़िर मुझे थोडी अकल आ गई, लेकिन तब तक अन्य कई दोस्तो ने फ़िर भी मुझे टोपी पहना ही दी,फ़िर मेने कसम उठाई की अब कभी किसी को पैसा उधर नही दुंगा. उन्ही दिनो मुझे एक भारतीया सडक पर मिला जो -२० C मै भी एक स्वेटर पहने था, उस का खास दोस्त मिलने आया उसे संग ले कर, ओर उसे मेरे घर उसे छोड गया, ओर बोला मै अभी आया... लेकिन फ़िर कभी भी नही आया, बात चीत से पता चला कि वो दो चार दिन पहले ही भारत से आया है, उस की रोनी शकल देख कर  मैने उसे कहा अगर तुम्हारे पास यहां का वीजा है, तो तुम जितने दिन चाहो मेरे घर पर रह सकते हो, ओर जो चाहो खाओ, वो भाई दो महीने मेरे पास रहे, मैने उन्हे गर्म कपडे भी ले कर दिये, ओर खाने पीने की कोई कमी नही आने दी, ओर छोटे भाई से भी ज्यादा प्यार दिया.

फ़िर उसे भारत की याद  सताने लगी, ओर एक दिन भीगे मन से उसे अलबिदा कह दिया, लेकिन जाते जाते उस ने अपना भारत का पता दिया, ओर भारत पहुचते ही उस का फ़ोन आया उस के परिवार ने बहुत धन्यवाद किया कि अगर आप ने इसे ना समभाला होता तो सर्दी मै इस का क्या होता, लेकिन मेरे लिये यह साधारण था, ओर मै इसे भुल सा गया, जब भारत गया तो उस ने जबर्द्स्ती अपने घर बुलाया , जब उसक े घर गया तो सब ने बहुत सेवा की , ओर मेरा धन्यवाद किया.

उस के बाद कभी कभार उस से बात चीत हो जाती, एक दो बार मेरी गेरहाजरी मै वो लडका मेरे मां बाप के पास गया  , उन का हाल चाल पूछा, मेरे साथ कभी कभार फ़ोन पर बात हो जाती, फ़िर पांच छै साल हम फ़ोन पर भी नही मिले, जब मेरे पिता जी गुजरे तो उस से मुलाकात हुयी, फ़िर फ़ोन पर एक आध बार बात हुयी, मां गुजरी तो दोबारा उस से मुलाकात हुयी, एक रात उस के घर रुकना हुआ, सुबह जब मुझे एयर पोर्ट छोडने आया तो बोला कि क्या आप के पास कुछ पेसे है? तो मैने पहले तो उसे मना करना चाहा..... लेकिन इतनी लम्बी जानपहचान ओर उस के प्यार को याद कर के मना ना कर पाया, ओर उसे एक हजार € ( करीब ७० हजार रुपये) दे दिये, उस का कहना था कि अगली बार जब भी आप ऎयर पोर्ट पर उतरेगे आप को यह पेसे मै यही दे दुंगा:

अब मुझे तो उस पर कोई शक नही था, फ़िर छै महीने बाद भारत आने लगा तो मैने बीबी से कहा कि मुझे इस बार पेसे साथ ले जाने की जरुरत नही वो पेसे तो ले ही आयेगा!!! लेकिन बीबी ने फ़िर भी जबर्दस्ती कुछ पेसे मुझे दे दिये, ओर कुछ हजार रुपये भी मेरे पास बचे थे, ओर मेरा क्रेडिट कार्ड भी दे दिया की कि  कभी  भी जरुरत पड सकती है, जब भारत एयर पोर्ट पर उतरा तो उस दोस्त ने एक पेसा भी नही दिया, मैने शर्माते शरमाते उस से कहा कि मुझे कुछ रुपये चाहिये, ओर उस ने १० हजार रुपये मुझे दिये........ फ़िर मेरा क्रेडिट कार्ड ओर बीबी के दिये पेसे काम आये, अब जब भी उस से पेसे मांगता हुं तो कोई ना कोई बहाना बनाता है.

मेने तो उस की मदद हर बार कि बिना मतलब के , अब क्या उसे इस बार मदद दे कर मैने बेवकुफ़ी की है, अगर हां तो शायद यह मदद मेरी तरफ़ से  हर इंसान के लिये अंतिम होगी, क्योकि इतने सालो का विशवास क्या पैसो के लिये ही था? क्या सच मै इंसानियत इस दुनिया मै खत्म हो गई, अब वो मुझे पैसा दे या ना दे लेकिन उस के कारण जो मैरा विशवास खोया है , उस का मुझे बहुत दुख है, आज उस ने कल मुझे १५ हजार देने का वादा किया है, जो वो यह वादा करीब दो महीनो से करता आ रहा है.........

अब आप ही इस कहानी को जो चाहे नाम दे, क्या अब मै किसी असहाय की मदद करुंगा??? कभी नही, किसी जरुरत मंद को पैसा दुंगा ??कभी नही

छोटी छोटी बाते... अर्थ बहुत गहरे

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पिछले शुक्र बार को बच्चे बोले की उन के दोस्त ने एक पार्टी रखी है, वहा जरुर जाना है, ओर दोनो भाई तेयार हो गये, मेने उन्हे कहा कि तुम दोनो को छोड आता हुं, ओर जब भी पार्टी खत्म हो मुझे फ़ोन कर देना मे तुम्हे लेने आ जाऊंगा,बच्चे बोले पापा हम अब कार चला सकते है, हम चले जायेगे, तो मेने कहा अभी तुम्हे बर्फ़ के मोसम मै चलाने मै मुश्किल होगी, तो बच्चे थोडा उदास हो गये, तो मेने कहा जाओ लेकिन बहुत ध्यान से.... ओर जिस का डर था वो ही हुया, कार फ़िसली ओर अगले हिस्से मै राईट साईड मै कार ठुक गई,दुसरे दिन सुबह जब मे हेरी के संग निकला तो देखा, कार को देखने मै लगा कि ज्यादा नुकसान नही हुआ है,बच्चे भी कुछ देर बाद उठ गये तो बच्चो ने सारी बात बताई, ओर बताया कि कार तो चलती है बस थोडा ही फ़र्क पडा है.

दुसरे दिन मेने घर से करीब ६० किलो मीटर दुर जाना था, जब कार चलाई तो हेरान हुआ कि बच्चे केसे इस को घर तक ले आये, क्यो कि स्टेरिंग तो बहुत मुश्किल से घुम रहा है, ओर नयी कार होने के कारण मेने इस का डबल बीमा करवा रखा है, इस लिये इस तरफ़ तो कोई फ़िक्र नही.

आज सुबह मेने अपने बीमे वाले को फ़ोन किया, ओर सारी बात बताई, तो उन्होने ने मुझ से पुछा कि क्या कार चल सकती है, तो मेने कहां हां लेकिन आप के रिश्क पर, तो अब उन्होने एक वर्क शाप से मेरी कार को लेजाने के लिये एक गाडी भेजी, ओर जब तक मेरी कार ठीक नही होती या मुझे नयी कार नही मिलती, तब तक के लिये एक नयी कार उपलब्ध करवाई, जब मेने पुछा कि इन सब का खर्च कोन देगा तो उन्होने बताया कि जर्मन मै नयी कार खरीदने पर आप को यह सब सहुलियत उम्र (११,१२ साल) मिलती है कार कम्पनी की ओर से.सभी कम्पनियो से नही बस कुछ बडी कम्पनियो की ओर से.

अभी थोडी देर मै वो मेरी कार को ऊठा कर ले जायेगे, ओर उस के स्थान पर मुझे दुसरी कार दे जायेगे, ओर जब मेरी कार ठीक हो जायेगी तो मेरी कार को छोड जायेगे, ओर अपनी कार ले जायेगे, लेकिन अपने देश मै सुना है गारंटी सिर्फ़ पेपरो पर ही मिलती है, क्यो नही हम इन लोगो से लेना चाहे तो ऎसी अच्छी बाते ग्रहण करे, अपने देश ओर अपने देश बासियो के प्रति ईमान दारी से रहे.

मेरे दोस्त ने नयी कार ली दिल्ली मै उस की सर्विस करवाने से डर रहा है, कही पुर्जे ना निकाल ले..... तो क्या ऎसी बातो से हम सच मै अमीर बन सकते है?? तो क्यो नही हम अगर नकल ही करना चाहते है इन युरोप वालो की तो अच्छी बातो की नकल करे....ऎसी बहुत सी बाते है जो रोजाना हम देखते है, लेकिन कहते डरते है कि कोई इस बात को गलत ना समझे, वर्ना तो बहुत सी बाते है जो है तो छोटी छोटी लेकिन उन के अर्थ बहुत गहरे है,

एक पहेली बूझॊ तो जाने, जबाब

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आप सभी को बहुत बहुत बधाई, आप सब ही प्रथम विजेता है, आप सब ने सही जबाब दिया, असल मै मुझे भी नही पता था यह सब, लेकिन मां ओर बेटे आपिस मै फ़ुस फ़ुस बाते कर रहे थे, ओर मुस्कुरा रहे थे... मुझे कुछ गडबड लगी कि कही महिला आरक्षण का खतरा तो मेरे घर मै नही आ गया, फ़िर बीबी की दोनो कलाईयां देखी, अरे यह तो नये वाली चुडियां है जो मै अभी बनवा कर लाया हुं, क्या किसी पार्टी पर जाना है? ओर तभी बीबी जी को गुस्सा आ गया ओर बोली कोन सा महीना है? मेने गिन कर बताया अरे मार्च है ना, ओर तारीख अरे ११ है ना, लेकिन यह सब तुम सुबह से कई बार पुछ बेठी हो... तो तुम्हे कुछ भी नही याद..... ओर सच मै मुझे कुछ भी नही याद था..... बीबी ने फ़िर हमारा शादी का कार्ड मुझे दिखाया, अरे यह किस का है? ओर जब देखा तो मुझे बहुत हंसी आई, ओर फ़िर मेने बीबी से माफ़ी मांगी की मै तो पहली बार भूला हुं, तो बीबी ने कहा तुम तो हर साल यही कहते हो.
अब कल हम सब चारो जने घर पर एक छोटी सी पार्टी करेगे, आप सब भी आये आप सब का स्वागत है

एक पहेली बूझॊ तो जाने

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यह जिन्दगी के मेले बहुत अजीब होते है, बेसे तो यह पोस्ट मैने पराया देश ब्लांग पर ही डालनी थी, लेकिन वहां अभी थोडा उदासी का माहोल है, फ़िर इसे "मुझे शिकायत हे." पर डालने की सोची तो भईया वहां तो पुलिस की नाकेबंदी लगी हुयी है...क्या पुलिस को बुलाऊं    
तो सोचा चलो आज  पहेली भी यही पुछ लेते है, पहेली कुछ यु ही कि आज हमे सब डबल डबल दिख रहे है, यानि अब आप ही देखे यह घटना आज के दिन ही घटी थी लेकिन २२ साल पहले, ११ मार्च को घटी तो हमे आज २२ नजर आ रहे है, इस घटना का जिकर पराया देश पर भी हो चुका है कभी ना कभी, इस घटना से पहले हम अकेले थे, अब धीरे धीरे चार हो गये, इस तरीख को हम जिन्दगी मै पहली बार किसी निरिह जानवर पर बेठे थे, तो बताईये वो निरिह जानवर कोन था, ओर वो घटना कोन सी थी, जिस ने हमारी जिन्दगी ही बदल दी??

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय