अरे बाबा ऎसा क्युं होता है अकसर??
पता नही यह मेरे साथ ही होता है या सभी के संग होता है, वेसे तो जिन्दगी रोजाना की तरह ही चलती है हर दिन , लेकिन जब कोई खास समय हो तो कुछ नही बहुत सी गडबड हो जाती है....
आज मेदे बेटे ने स्कुल के संग वियाना जाना है, ओर सुबह सुबह उसे छोड भी आया, लेकिन कल जब उस की तेयारी हो रही थी, बहुत कुछ गडबड हो गया, लेकिन फ़िर प्रेशान कर के सब ठीक हो गया,
सब से पहले तो उस ने तीन अटेची ओर बेग बदले कि यह यह वाला ले जाना है ओर यह वाला फ़िर अंतिम फ़ेसला कि हरी वाली अटेची ले जानी है, उस मै जनाब ने अपना समान भी रख लिया, बस एक आद समान ही बचा था, तो मेने पुछा बेटा इस अटेची का कोड भी डाल दिया लांक करने के लिये? तो बेटा बोला पापा आप डाल दे, मेने उस के बताये ना० का कोड डाल दिया, फ़िर अटेची को बंद कर दिया..... चेकिंग की तो जनाब हमारा डाला कोड काम नही कर रहा था???? अब दो चार ना० आगे पीछे किये लेकिन अटेची खुले ही नही, फ़िर हाथोडी मेचकस बगेरा आ गये की चलो अब नयी अटेची खत्म, लेकिन यह अटेची टुटे भी नही लांक भी ना टुटे..... फ़िर हम ने ठंडा पानी पिया ओर ००० से ९९९ तक ट्राई करनी चाही, समय कितना ही लगे... लेकिन फ़िर नाऒ बहुत जल्द मिल गया ओर अटेची भी खुल गई.
घर पर तो नानस्टाप इंटर्नेट है, लेकिन बच्चो को बाहर भी नेट चाहिये, अब मोबाईल पर विदेश के लिये एक मोबाईल कार्ड लिया जिसे हम यहां भी काफ़ी चला रहे थे, सब ठीक ठाक था, पेकिंग से पहले उस कार्ड को चेक करने लगा तो वो भी ब्लांक हो गया.... फ़िर बेटे ने उसे भी किसी तरह से नेट पर जा कर चलाया, सुबह तक छोटी छोटी चीजे समेटा रहा... ओर फ़िर ६,३० पर उसे स्टेशन पर उस के ग्रुप के साथ छोड कर आया, अब वो २८ जुलाई को वापिस आयेगा, मेरे घर के पास ही है वियाना लेकिन हम आज तक नही गये घुमने.
क्या आप सब के संग भी ऎसा ही होता है यात्रा से पहले नये से नये पंगे....
Saturday, July 24, 2010 | 16 Comments
अगर आप ट्रेन से कही यात्रा करे, ओर बाहर देखने पर हजारो लोग आप की तरफ़ अपने पिछले हिस्से को नगन दिखाये तो केसा लगेगा???
अरे शर्माये नही.... यहां देखे ओर पढे तो सही....
अमरीका के दक्षिणी कैलिफोर्निया शहर में एक ऐसी जगह है जहां हर साल लोग एक परंपरा का निर्वाह बड़े मजे के साथ कर रहे हैं. इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोग पास गुजरने वाली ट्रेनों के सामने अपनी पैंट उतारते हैं और अपना नितंब दिखाते हैं..... पुरी खबर के लिये आप को यहां जाना होगा:) लेकिन इन्हे क्या मिलेगा?? पोर कही भारत मै भी इसे एक दिन के रुप मै ना मनाने लग जाये लोग
Sunday, July 11, 2010 | 16 Comments
एक सलाह या एक जान कारी चाहिये आप से.....
मेरा मकान भारत के रोहतक शहर मै है, जहां मेरा भाई अपने परिवार समेत रह रहा है, अब मुझे पानी के लिये अलग से लाईन लगानी है,किसी से पता करने पर पता चला कि पानी के क्नेक्शन के लिये मकान की रजिस्ट्री , या जमीन की रजिस्ट्री की जरुरत पडती है? क्या यह सच है? य सिर्फ़ हम उचित फ़ीस भर कर ही पानी का क्नेक्शन ले सकते है? जरुर अपनी राय दे.
दुसरा अगर हम १००० लीटर की टंकी लगवाये, ओर करीब २५० मीटर पाईप लगाये, साथ मै एक मोटर( पानी खींचने के लिये पम्प भी)तो मोटर कोन सी क्म्पनी की अच्छी होगी ओर कितने की पडेगी, ओर इन सब पर कितना खर्च होगा अंदाजे से अगर आप बता सके तो आप सब की मेहरबानी होगी, इस से मुझे बहुत मदद मिलेगी ओर कोई नजायज पेसे नही लूट पायेगा मेरे से. ओर क्या हजार लिटर की टंकी से बडी टंकी भी मिलती है? ओर एक परिवार के लिये कितनी बडी टंकी सही होगी?
तो जनाब जबाब जरुर दे. धन्यवाद
Wednesday, July 07, 2010 | 16 Comments