आ जाओ माँ.....(सत्यम शिवम)
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Er. सत्यम शिवम
स्वर मेरा अब दबने लगा है,
कंठ से राग ना फूटे,
अंतरमन में ज्योत जला दो,
कही ये आश ना टूटे।
तु प्रकाशित ज्ञान का सूरज,
मै हूँ अज्ञानता का तिमीर,
ज्ञानप्रदाता,विद्यादेही तु,
मै बस इक तुच्छ बूँद सा नीर।
विणावादिनी,हँसवाहिनी!
तुझसे है मेरा नाता,
बिना साज,संगीत बिना भी,
हर दम मै ये गाता।
तेरा पुत्र अहम् में माता,
भूल गया है स्नेह तुम्हारा,
भूल गया है ज्ञान,विद्या,
धन लोभ से अब है हारा।
आ जाओ माँ आश ना टूटे,
दिल के तार ना रुठे,
कही तुम बिन माँ तड़प तड़प के,
प्राण का डोर ना छुटे।
कंठ से राग ना फूटे,
अंतरमन में ज्योत जला दो,
कही ये आश ना टूटे।
तु प्रकाशित ज्ञान का सूरज,
मै हूँ अज्ञानता का तिमीर,
ज्ञानप्रदाता,विद्यादेही तु,
मै बस इक तुच्छ बूँद सा नीर।
विणावादिनी,हँसवाहिनी!
तुझसे है मेरा नाता,
बिना साज,संगीत बिना भी,
हर दम मै ये गाता।
तेरा पुत्र अहम् में माता,
भूल गया है स्नेह तुम्हारा,
भूल गया है ज्ञान,विद्या,
धन लोभ से अब है हारा।
आ जाओ माँ आश ना टूटे,
दिल के तार ना रुठे,
कही तुम बिन माँ तड़प तड़प के,
प्राण का डोर ना छुटे।
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
7 February 2011 at 10:46 am
माँ का आशीर्वाद सबको प्राप्त हो।
8 February 2011 at 4:44 am
बहुत सुन्दर रचना है। माँ का आशीर्वाद और आशा बनी रहे। सत्यम जी को बधाई।
8 February 2011 at 8:05 am
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
8 February 2011 at 12:43 pm
माँ पर लिखी गयी बेहतरीन और भावुक कर देने वाली उम्दा रचना !
8 February 2011 at 5:41 pm
बहुत ही भावपूर्ण रचना!
बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!
8 February 2011 at 7:09 pm
सुंदर कविता
माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें
8 February 2011 at 10:00 pm
बहुत ही सुंदर मा सरस्वती की वंदना, आप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
9 February 2011 at 3:50 am
माँ शारदे सब पर कृपा करें !
3 November 2016 at 4:09 am
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