feedburner

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

ब्लाग परिवार... Blog parivaar

.

आप सब को मेरा नमस्कार, सलाम, सतश्री अकाल ओर जो जो वाक्या स्वागत मे कहे जाते हे, वो सब मेरी ओर से जोड ले,बहुत समय से देख रहा हुं कि साथी लोग ऎग्रीगेट्र की बाते कर रहे हे, कोशिश कोई नही कर रहा, कोई पेसो की बात करता हे तो कोई रुठे हुयो को मना रहा हे, लेकिन इतने समय से कुछ खास नही हुआ,अब बेठे बेठे मेरे दिमाग मै एक विचार आया कि क्यो ना मे ही इस काम का बीडा ऊठा लूं, वेसे तो मुझे पता हे कि यह काम मेरे अकेले के बस का नही, लेकिन जब तक हम मे से कोई पहला कदम नही बढायेगा तब तक कुछ नही हो पायेगा.पुरा पढने के लिये यहां आये

नॊट..... कृप्या आप अपना URL  जरुर लिखे, इस से मुझे दिक्कत नही होती

5 टिपण्णी:
gravatar
डॉ. मनोज मिश्र said...
29 December 2010 at 12:58 pm  

बेहतरीन शुरुआत-शुभकामनायें राज जी.
http://manjulmanoj.blogspot.com

gravatar
एस एम् मासूम said...
31 December 2010 at 7:22 pm  

नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम
http://payameamn.blogspot.com/

gravatar
दिगम्बर नासवा said...
3 January 2011 at 10:00 am  

Shuruaat to achhee hai ..

gravatar
Neeraj Shukla said...
14 August 2012 at 6:44 pm  

kripya mera blog shamil karne ka kasht kare

http://fursat-nama.blogspot.com

gravatar
Neeraj Shukla said...
14 August 2012 at 6:46 pm  

kripya mera blog shaamil karne ka kasht karen

http://fursat-nama.blogspot.com

Post a Comment

Post a Comment

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये

टिप्पणी में परेशानी है तो यहां क्लिक करें..
मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय