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मासूम बीबी.....

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एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी छिपाते नहीं थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी खोला नहीं था। उस डब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी। 

आखिर एक दिन बुढ़िया बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी खयाल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढ़िया बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, यह सब क्या है। पत्नी ने बताया कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी मां ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं । यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना। 
बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था । उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ। 
खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा । इतनी बड़ी रकम तो उसने अपनी पत्नी को कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये? 


''रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं ।'' पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।

23 टिपण्णी:
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दिगम्बर नासवा said...
21 April 2010 at 3:44 pm  

Mazaa aa gaya Bhaatiya ji ... masoom se sawaal ka itna masoom jawaab ... ha ha ..

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M VERMA said...
21 April 2010 at 3:46 pm  

बहुत खूब
बहुत सुन्दर
मजेदार
त्रासद भी

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दिलीप said...
21 April 2010 at 4:00 pm  

badhiya hamne ye kissa suna to tha par thoda hat ke...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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डॉ महेश सिन्हा said...
21 April 2010 at 4:58 pm  

:)

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
21 April 2010 at 5:35 pm  

बहुत बढिया। सदके जाया जा सकता है ऐसी मासूमियत पर।

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ब्लॉ.ललित शर्मा said...
21 April 2010 at 5:52 pm  

हा हा हा
राज जी अज्ज ते कमाल कर दित्ता जी।

मौजां ही मौंजा

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कडुवासच said...
21 April 2010 at 6:11 pm  

...bahut sundar, prabhaavashaalee, prasanshaneey kahaani ...kamaal-dhamaal ... bahut bahut badhaai !!!

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कडुवासच said...
21 April 2010 at 6:12 pm  

...adbhut abhivyakti !!!

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डॉ. मनोज मिश्र said...
21 April 2010 at 6:16 pm  

वाह ,गजब.

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shobhana said...
21 April 2010 at 6:27 pm  

jab masumiyat aisi hai to ?age kya kahna ?

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डॉ टी एस दराल said...
21 April 2010 at 6:32 pm  

हा हा हा ! बहुत बढ़िया तरीका बताया है जी , वैभव पूर्ण सुख अर्जित करने का ।

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अंजना said...
21 April 2010 at 7:31 pm  

:-)

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Udan Tashtari said...
21 April 2010 at 8:05 pm  

हा हा!!

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
21 April 2010 at 9:21 pm  

हा हा हा..ये मासूमियत :-)

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परमजीत सिहँ बाली said...
21 April 2010 at 9:50 pm  

bahut khoob!!

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ताऊ रामपुरिया said...
22 April 2010 at 6:42 am  

बहुत ही गजब.:)

रामराम.

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honesty project democracy said...
22 April 2010 at 7:40 am  

समाज में गिरते चारित्रिक पतन और आपसी रिश्तों की दुःख भरी परिस्थितियों में इस तरह के प्रेरक प्रसंग युक्त ब्लॉग की अति आवश्यकता है / आप के इस महान कार्य के लिए एक बार आपका फिर धन्यवाद /

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अन्तर सोहिल said...
22 April 2010 at 8:48 am  

मजेदार

प्रणाम स्वीकार करें

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डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...
22 April 2010 at 9:44 am  

हा हा हा हा हा .... बहुत ही प्यारी मासूमियत....

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Abhishek Ojha said...
23 April 2010 at 9:53 pm  

oh !

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Unknown said...
28 April 2010 at 6:01 pm  

हा हा। बहुत बढिया।

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Shah Nawaz said...
16 September 2013 at 7:45 am  

हा हा हा.... ज़बरदस्त राज भाटिया जी...

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Unknown said...
3 November 2016 at 4:23 am  



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