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जनाब क्या खायेगे? चलिये खुद ही देख ले क्या क्या मिलता है यहां

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यह मुझे Mohan Vashisth जी ने मेल से भेजी ओर मेरे दिल को छुगई, मेने इसे आगे मेल करने कि व्जाय इस की पोस्ट बना दी..,,

आज सभी फ़ोटो गायब हो गये जी.... पता नही कहां

जाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ?

............ ... ........... .....थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ?
नहीं ??? ओके ......... पास्ता ?
नहीं ?? .. इसके बारे में क्या सोचते हैं ?आज ये खाने का भी मन नहीं ? ... ओके .. क्या इस मेक्सिकन खाने को आजमायें ?दुबारा नहीं ? कोई समस्या नहीं .... हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं........
ह्म्म्मम्म्म्म ... चाइनीज ????? ??
ओके .. हमें भारतीय खाना देखना चाहिए .......हमारे पास अनगिनत विकल्प हैं ..... .. टिफिन ? मांसाहार ?
या केवल पके हुए मुर्गे के कुछ टुकड़े ?
आप इनमें से कुछ भी ले सकते हैं ... या इन सब में से,
थोड़ा- थोड़ा ले सकते हैं ...
अब शेष बची मेल के लिए परेशान मत होओ....
मगर .. इन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है ..इन्हें तो बस थोड़ा सा खाना चाहिए ताकि ये जिन्दा रह सकें .......... इनके बारे में अगली बार तब सोचना जब आप किसी केफेटेरिया या होटल में यह कह कर खाना फैंक रहे होंगे कि यह स्वाद नहीं है !!
ही नहीं जाती.........अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप ००००० (केवल भारत में )पर फ़ोन करें - यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड हेल्पलाइन है । वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे

लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में सहयोग कर सकें -
'मदद

अनार कली कहां चली.....

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भाई ना तो हम कवि है, ओर ना ही शायर, लेकिन इन सात दिनो मै इतने शेर पढे, ओर इतनी बाते पढी की मजा आ गया...
जब हम रोहतक जा रहे थे तो जेसे जेसे ट्रको पर, ट्रालियो पर स्कुटरो पर ओर रिक्क्षा पर नजर पडती तो कुछ ना कुछ पढने को मिल जाता ओर सफ़र भी जल्द ही खत्म भी हो जाता, अगर कोई ट्रक दुर होता तो मन करता देखे इस के पीछे क्या लिखा है....
तो चलिये हम अपना पिटारा खोलते है इस अमुल्य बातो का.
अनार कली कहां चली.... बई तुझे क्या भाड मै जाये.
बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला.... यार हमे क्यो पढवा रहा है,
टीटू दी गड्डी.... अरे भाई हमे क्या किस की गड्डी हो.... ना हम टीटू को जानते है ना तुम्हे.
???? ????? अब तो पीछा छोड दे मै हो गई बच्चो वाली.... अजी शुकर करो इस उम्र मै भी आशिक मिल रहे है.
भाई हो तो ऎसा, हिसाब मांगे ना पेसा........ जरुर मेरे जेसा पागल होगा.
वाय वाय टाटा....... अबे जा बार बार हार्न बजा कर कान खराब कर रहा है.
आज मिले हो फ़िर कब मिलोगे प्रदेशी..... जरुर यह कोई जासुस होगा जो मेरे बारे जानता है
हार्न पलीज.... अबे अगर हार्न ऊखाड कर तुजे दे दिया तो मोके पर मै कहा से बजाऊंगा?
पीछे पीछे आने वाले तेरे इरादे है क्या..... नहि बताता
देखो मगर प्यार से...... बाप रे यहां भी धमकी
तेरे बच्चे जीये तेरा लहू पिये...... अब समझ मै आया आज कल के बच्चे यही से यह शिक्षा ले कर जाते है.
अबे आंखे फ़ाड फ़ाड कर क्या देख रहा है...... भाई हम ने झट से मुंह दुसरी तरफ़ फ़ेर लिया,
ओर सामने ही साईट मै एक बोर्ड लगा था साबधानी हटी दुर्गघटना घटी
बाकी याद आने पर.... तब तक आप भी कुछ बताये

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय