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एक नयी जानकारी आप के फ़ायर बक्स के लिये..

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यह मेरी इस ब्लांग पर शायद इस महीने की आखरी पोस्ट होगी, आज कल मन भटकता सा जा रहा है, पहले भारत जाता था तो दिल मै बहुत खुशी होती थी.... लेकिन इस बार  दिल नही मान रहा..... लेकिन जाना तो जरुरी है.... क्यो कि यह दुनिया मेरे कामो के कारण या  मेरे कारण तो नही रुकने वाली, ओर अगर मै रुक गया तो ... समय से पिछड जाऊगां....
जो मुझे पसंद नही....

 अरे कहां से यह बात ले कर बेठ गया आप कॊ बताने तो लगा था , गुगल बाबा की नयी जानकारी, जी अगर आप फ़ायर बाक्स का इस्तेमाल करते है, ओर अपने पेज को अपनी पसंद के हिसाब से सुंदर, मन मोहक, मस्ताना, बनाना चाहते है या उसे सजाना चाहते है तो देर किस बात की, बस एक प्यारा सा चटका यहां लगाये, ओर पहुच जाये सजावट की दुकान पर, ओर मन पसंद सजावट तेयार है बिलकुल मुफ़त समय भी बस एक मिंट से कम, तो आप अब सजावट करे फ़िर बताये.

28 टिपण्णी:
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अविनाश वाचस्पति said...
23 January 2010 at 2:45 pm  

भारत आ रहे हैं तो
दिल्‍ली भी आ रहे होंगे
पर मुझे मत भूल जाना।
9868166586/9711537664

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Randhir Singh Suman said...
23 January 2010 at 2:50 pm  

nice

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Arvind Mishra said...
23 January 2010 at 3:06 pm  

शुभागमन स्वदेश !

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Unknown said...
23 January 2010 at 3:13 pm  

भारत में स्वागत है आपका!

मन को नियन्त्रित कीजिये और इधर उधर भटकने मत दीजिये।

जानकारी के लिये धन्यवाद!

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डॉ. मनोज मिश्र said...
23 January 2010 at 3:28 pm  

shubh aagman,जानकारी के लिये धन्यवाद!

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डॉ महेश सिन्हा said...
23 January 2010 at 3:47 pm  

आपकी यात्रा सुखद हो

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
23 January 2010 at 3:51 pm  

राज जी,
घर आने पर पूरानी यादें तो व्यथित करेंगी ही, पर गमों को भूल कर छोटी-छोटी खुशियों में मन लगाईये, राहत मिलेगी।

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BrijmohanShrivastava said...
23 January 2010 at 4:01 pm  

मन का स्वभाव है भट्कना ,उसे भटकने दीजिये आप अपना काम दीजिये,भटक भटका कर, थक थका कर वापस लौट आयेगा""जैसे उड़ जहाज को पंछी फिर जहाज पे आवे-,मेरो मन अनत कहां सुख पावे ""

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Gyan Darpan said...
23 January 2010 at 4:01 pm  

भारत में स्वागत है आपका!

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कडुवासच said...
23 January 2010 at 5:04 pm  

... पुरानी यादें... नया माहौल ... कुछ बचे... कुछ चल दिये ...!!!!!!!

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दिनेशराय द्विवेदी said...
23 January 2010 at 5:53 pm  

महिने की आखिरी कैसे? आप तो 31 को रवाना होने वाले थे? क्या तब तक कुछ नहीं लिखेंगे।

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
23 January 2010 at 7:02 pm  

अरे वाह्! यानि की भारत आने की तैयारियाँ शुरू हो गई है.....बस आते ही फोन जरूर कर दीजिएगा..या फिर अपना यहाँ का फोन नम्बर मेल कर दीजिएगा ताकि हम भी समय की एडजस्टमेन्ट कर सकें......

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राज भाटिय़ा said...
23 January 2010 at 7:02 pm  

दिनेश जी शायद "छोटी छोटी बाते" वाले ब्लांग की पर, वेसे मन उदास हो रहा है बच्चो ओर बीबी के बिना को ....तारीख तो वोही है,

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निर्मला कपिला said...
24 January 2010 at 4:44 am  

भाटिया जी आपका भारत मे स्वागत है आप कब आ रहे हैं मुझे जरूर बतायें अगर आपके पास समय हुया तो नंगल आयें नही तो मुझे बता दें मैं आपसे मिलने आ जाऊँगी। मेर फोने ऩ 09463491917 हैकई बार यहाँ रेंज नही होती तो आप इस नो़ पर कर सकते हैं 01887-220377 । आपके जवाब का इन्तज़ार रहेगा। शायद आपके माता जी की मृ्त्यू के बाद आपका मन नहीं है । मगर उनकी आत्मा को सन्तुष्टी होगी आपके यहाँ आने पर । शुभकामनायें

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दिगम्बर नासवा said...
24 January 2010 at 8:05 am  

खुशकिस्मत है भाटिया जी ...... भारत जाना सुखद रहेगा ...... इस जानकारी के लिए धन्यवाद .........

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प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...
25 January 2010 at 4:08 am  

अपने देश में आने के लिये बधाई। आप भारत आ रहे हैं ये तो अच्छी बात है पर खुशी नही हो रही, ऐसा क्यों?

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Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...
25 January 2010 at 9:08 am  

जानकारी के लिये धन्यवाद! आप भारत आ रहे हैं... मन प्रसन्न हुआ.. यदि आप अपना भारतीय संपर्क न. ईमेल करने का कष्ट करेंगे... तो मैं भी थोडा कष्ट कर लूँगा... (आपसे मिलना शायद संभव हो इस साल)

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अन्तर सोहिल said...
25 January 2010 at 12:16 pm  

माता जी के जाने के बाद यह पहला मौका है भारत आने का, इसलिये आपको ऐसा लग रहा है शायद
पहले तो सबसे ज्यादा खु्शी तो मां से मिलने की होती थी, लेकिन अब…

खैर
गंगा रुकती नहीं, बहती रहती है

इस लिंक के लिये शुक्रिया, देखता हूं जाकर क्या है?
आप मुझे फोन करना मत भूलियेगा जी, मुझे बेसब्री से इंतजार है आपसे और दिनेश जी से मिलने का

प्रणाम

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देवेन्द्र पाण्डेय said...
25 January 2010 at 2:07 pm  

भारत में आपका स्वागत है.

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shama said...
25 January 2010 at 7:54 pm  

Bharat me aapka tahe dilse swagat hai!
Gantantr diwaskee dheron shubhkamnayen!

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सर्वत एम० said...
27 January 2010 at 4:58 am  

आप भारत आने में दुखी हो रहे हैं और हम हैं कि सिर्फ आपके आने की सुन कर खुश हो रहे हैं. मुलाक़ात भले न हो, फिर भी "जी के बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है" ना.

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संजय भास्‍कर said...
28 January 2010 at 5:46 pm  

अपने देश में आने के लिये बधाई। आप भारत आ रहे हैं ये तो अच्छी बात है पर खुशी नही हो रही, ऐसा क्यों?

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ज्योति सिंह said...
31 January 2010 at 9:09 pm  

hai preet jahan ki rit sada ,main geet wahi ke gaata hoon .bharat ka rahne wala hoon ,bharat ki baat batata hoon .jai hind ,aese desh me aapka swagat hai .

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KK Yadav said...
1 February 2010 at 8:26 am  

Bharat men apka swagat hai...dil kholkar aaieye to ranj bhi nahin hoga aur gam bhi nahin hoga.

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रचना दीक्षित said...
1 February 2010 at 8:27 am  

अपने देश आ रहे हैं, बे खौफ आयें ब्लोगेर्स के दिल आपका स्वागत करने को तत्पर हैं

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लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...
10 February 2010 at 1:06 pm  

बहुत-बहुत धन्यवाद,,,,

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कडुवासच said...
16 February 2010 at 4:06 am  

भाटिया जी
दोस्त को बमुस्किल बचा लिया गया है लेकिन बचाते-बचाते कुछ "बारिष के छींटे" इधर तक भी आने का प्रयास कर रहे थे।
ध्न्यवाद
श्याम कोरी 'उदय'

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Unknown said...
3 November 2016 at 4:27 am  



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