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विचार

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नमस्कार आप सभी को , आज मुझे एक पुराना केलेंडर मिला, पुराना था तो फ़ेंकने वाले ने सोचा कि इसे फ़ेंक दे तभी मेरी नजर उस केलंडर पर पडी, ओर उस पर अंकित विचार मुझे बहुत अच्छे लगे, सो मेने उन से वो केलेंडर मांग लिया, ओर अब रोजाना उस पुराने केलेंडर मे से एक एक विचार आप लोगो के लिये यहां प्रकाशित किया करुंगा,
ओर अगर आप को पसंद आये तो जरुर बताये....

आज का विचार...
अच्छी पुस्तकें अच्छे साथी की तरह हैं,अशलील साहित्य हमारे मन को दूषित करता है,तथा हमे गलत रास्ते की ऒर ले जाता है.
धन्यवाद

21 टिपण्णी:
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सुशील छौक्कर said...
1 October 2009 at 2:25 pm  

सच्ची बात।

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PD said...
1 October 2009 at 2:27 pm  

achchha hai ji.. aap har din chhapen.. ham padhenge.. :)

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M VERMA said...
1 October 2009 at 2:33 pm  

सुविचार

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Unknown said...
1 October 2009 at 2:41 pm  

बिल्कुल सही बात है! अच्छी पुस्तकों से ज्यादा अच्छा साथी मिल भी नहीं सकता।

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दिनेशराय द्विवेदी said...
1 October 2009 at 2:52 pm  

बिलकुल सही विचार है।

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विनोद कुमार पांडेय said...
1 October 2009 at 3:16 pm  

Bilkul sahi aur manan karane yogy baat kahi aapne...dhanywaad..

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निर्मला कपिला said...
1 October 2009 at 3:31 pm  

bilakul sahee kahaa hai dhanyavaad

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mehek said...
1 October 2009 at 3:32 pm  

sahi baat hai.

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रविकांत पाण्डेय said...
1 October 2009 at 4:14 pm  

विचार पसंद आया। सत्य वचन!

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हें प्रभु यह तेरापंथ said...
1 October 2009 at 5:02 pm  

सत्य वचन गुरुदेव!

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dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...
1 October 2009 at 5:29 pm  

saty vachn kintu ............

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ताऊ रामपुरिया said...
1 October 2009 at 8:05 pm  

ये आपने बहुत अच्छा काम किया, एक सदविचार एक बीज कीतरह होता है, क्या पता कब वो किसी के मन में वृक्ष का रुप लेकर फ़ल जाये.

रामराम.

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
1 October 2009 at 10:09 pm  

बिल्कुल सही बात्!!! ताऊ के कथन से सहमत........

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शरद कोकास said...
1 October 2009 at 11:55 pm  

भाटिया जी पुरानी चीजें कभी बेकार नही होती । हम भी एक दिन पुराने केलेंडर की तरह हो जायेंगे ।

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Anil Pusadkar said...
2 October 2009 at 6:54 am  

सत्य वचन्। भाटिया जी महाराज की जय्।रोज़ सुबह अच्छी हो जायेगी।

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Anil Pusadkar said...
2 October 2009 at 6:56 am  

और अच्छा ब्लाग भी अच्छा साथी साबित है,जैसे आपका ये ब्लाग सही रास्ता दिखाता है।

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Dr Parveen Chopra said...
2 October 2009 at 1:31 pm  

बहुत अच्छे।

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अन्तर सोहिल said...
3 October 2009 at 1:50 pm  

बहुत सुन्दर विचार
अच्छा रहेगा जब हर रोज एक नया विचार, विचारने को मिलेगा

प्रणाम स्वीकार करें

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kishore ghildiyal said...
4 October 2009 at 4:25 pm  

khari va sachhi baat

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दिगम्बर नासवा said...
4 October 2009 at 6:54 pm  

VICHAARON KI UTTAM SHRANKHLA KI SHURUAAT HAI BHAATIYA JI .....
AAPNE THEEK LIKHA ACHAA SAHITY MAN KO ACHEE DISHA DETA HAI ....

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Pradeep said...
28 January 2011 at 4:52 am  

bahut sundar vichar hai
Thanks

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