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ऎऎऎऎऎऎऎऎ हंसा.

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एक आदमी एक तोते को अपने कंधे पर बिठा कर कही ले जा रहा था, तो रास्ते मै किसी राह गीर ने पुछा? भाई साहब यह जानवर कहा से ला रहे हो, उस आदमी से पहले, उस का तोता बोला पटना से.
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एक डाकटर ओर एक सरदार जी को एक ही लडकी से प्यार हो गया, दोनो रोज लडकी को मिले, जब यह बात सरदार को पता चली तो...... तो उस दिन के बाद वो सरदार जी रोजाना उस लडकी को एक सेब भेंट करने लगे, कई रोज बाद उस लडकी ने पुछा कि आप रोजाना मुझे एक सेब क्यो भेंट करते है, सरदार जी ने कहा कि रोजाना एक सेब लेने से डाकटर दुर रहता है.
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बच्चा... ममी जी इस बार हम पटाखे इस दुकान से लेगे,
ममी... लेकिन बेटा यह तो गर्ल्स होस्टल है हेरान हो कर ?
बच्चा... लेकिन ममी पापा तो कहते है पटाखे, ओर फ़ुल्झडियां सभी यही है.
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मियां वीवी घर से खरीदारी के लिये निकले, बाहर गेट पर एक फ़कीर मिला... फ़कीर ने कहा ऎ शहजादी!!! भगवान की कृप्या से पांच रुपये देदो, इस अंधे फ़कीर कॊ,
पति बोले, यह तुम्हे शहजादी बोल रहा है, सच मै अंधा है, इसे पांच रुपये देदो.
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ताऊ ओर तिवारी सहाब जी जब इकट्टॆ रहते थे, तब की बात है, ताऊ रोजाना रसोई घर मे जाये चीनी का डिब्बा उठाये ,ढक्कन खोले , चीनी को देखे, ढक्कन बन्द कर के डिब्बा वापिस रख दे, ओर यह रोजाना दिन मै कई बार होता, तिवारी सहाब जी तंग होगये, एक दिन तिवारी सहाब जी ने पुछा, ओये ताऊ तु रोजाना यह चीनी क्यो देखे है ? ताऊ जी बोले भाई ड्रा अनुराग जी ने कहा है कि मै रोजाना अपनी शुगर चेक किया करूं.
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एक ढाबे पर एक आदमी ठण्डी ठण्डी लस्सी मंगवाता है, जब लस्सी पीने लगा तो उसे उस मै से एक मक्खी दिखाई दी, उस ने आवाज दे कर कहा, ओए सरदार जी, इस लस्सी मै तो मक्खी है, सरदार जी बोले सोनेये दिल बडा करो यह बेचारी मक्खी कितनी लस्सी पी लेगी ?

14 टिपण्णी:
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डॉ. मनोज मिश्र said...
14 June 2009 at 9:05 pm  

हा-हा-हा-मजेदार चुटकुले..

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परमजीत सिहँ बाली said...
14 June 2009 at 9:08 pm  

वाह! राज जी।एक से बढ कर एक हैं सभी।

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Bhuwan said...
15 June 2009 at 1:32 am  

मजेदार...

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Udan Tashtari said...
15 June 2009 at 4:55 am  

हा हा हा हा हा
११ बार!!

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अजय कुमार झा said...
15 June 2009 at 5:46 am  

waah waah subah subah man khush ho gaya ....haan diwalee ke patakhe kahaan milte hain pata chal gaya...

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Sajal Ehsaas said...
15 June 2009 at 9:23 am  

बच्चा... ममी जी इस बार हम पटाखे इस दुकान से लेगे,
ममी... लेकिन बेटा यह तो गर्ल्स होस्टल है हेरान हो कर ?
बच्चा... लेकिन ममी पापा तो कहते है पटाखे, ओर फ़ुल्झडियां सभी यही है. mast hai...baut entertain kar rahe hai aap sabko...

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Urmi said...
15 June 2009 at 10:12 am  

पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आपको मेरी शायरी और पेंटिंग दोनों पसंद आई!
आपको बबली नाम अच्छा लगा ये सुनकर खुशी हुई! दरअसल बबली मेरे घर का नाम है पर कोई मुझे बबली तो कोई उर्मी कहकर पुकारता है सबकी अपनी अपनी पसंद!
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही मज़ेदार चुटकुल्ला ! बेहद पसंद आया!

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Science Bloggers Association said...
15 June 2009 at 10:23 am  

कहां से आप खोज कर लाए हैं इतने प्‍यारे प्‍यारे हंसगुल्‍ले।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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नीरज गोस्वामी said...
15 June 2009 at 12:34 pm  

आप जो रोती हुई दुनिया को हँसाने का ये काम कर रहे हो वो बहुत पुण्य का है...मजा आ गया...
नीरज

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
15 June 2009 at 2:51 pm  

हसाईयां मजेदार रहीं।
पर लगता है ब्लागजगत में अब चुटकुले ही चुटकुले पढने को मिलेंगें। क्योंकी आपकी बुझोवलों के बाद यहां पहेलियों की बाढ आ गयी थी। (:

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
15 June 2009 at 6:55 pm  

हा हा हा हा....मजेदार

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दिगम्बर नासवा said...
16 June 2009 at 9:03 am  

मजेदार भाटिया जी............. नए नए चुटकले मिल जाते हैं दूसरों का दिल भी खुश करने को आपके ब्लॉग पर.......

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प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...
16 June 2009 at 1:47 pm  

एक से बढ कर एक.....मजा आ गया...आप का ब्लाग बेहद पसंद आया!

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naresh singh said...
6 July 2009 at 6:07 am  

हंसगुल्लो मे रसगुल्लो का स्वाद वाह ।

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