feedburner

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

अरे वाह, यह हुई ना बात,

.

यह विडियो मेने पतझड मे लिया था, अपनी रसोई की खिडकी से, पीछे हमारी चिडिया की आवाज आ रही है साथ मै हमारी बीबी कुछ तल रही है, ओर तलने की आवाज भी आ रही है.

टिपण्णी देने से पहले इस विडियो को जरुर देखे, ओर फ़िर आप का विचार बने तो टिपण्णी देवें


क्या हम ऎसा करते है?? क्या हम अपने ही देश मै अपने ही गरीब भाईयो को कभी इंसान समझते है??


इस मोड पर जो गंद दिख रहा है, यह गंद नही बल्कि पेडे से गिरे पत्ते है ओर, साथ मे गीरियां है जिन्हे यह बत्त्खे आ कर खा रही है, ओर हर कार वाला इन्हे बचा कर जा रहा है, यहां कोई पुलिस वाला नही, लेकिन किसी का भी दिल नही इन्हे नीचे दे दे, ओर कोई भी हार्न भी नही बजा रहा, क्योकि हार्न बजाने से दुसरो की आजादी भंग होती है, ओर जो पत्ते सडक पर गिरे है थोडी देर मै कोई नागरिक इसे खुद ही साफ़ कर देगा, क्या हमारे देश मै यह जो वेलेंटेन डे मनाने वाले है, या जो अगरेजॊ की नकल करते है कया वो ऎसा करते है?

15 टिपण्णी:
gravatar
Udan Tashtari said...
16 February 2009 at 6:23 pm  

समय बदल रहा है..ऐसा भी होगा.. अभी भी ऐसा बहुत कुछ यहाँ है जो वहाँ इसी तरह पूछा जा सकता है कि क्या वो ऐसा करते हैं?? + और _ दोनों जगह है..एक तरफ की बात करना उचित नहीं.

gravatar
वर्षा said...
16 February 2009 at 10:30 pm  

video to dikh hi nahi raha. comment padha. hame khud se anushashit nahi hai. kya pata nakal kar hi seekh len.

gravatar
Gyan Darpan said...
17 February 2009 at 3:12 am  

kachhua chal net ki vajah se video nahi dekh paye bad me dekhne ki koshish karenge.

gravatar
Shastri JC Philip said...
17 February 2009 at 5:33 am  

भाटिया जी, जर्मनी तो कभी आया नहीं लेकिन हालेंड चुका हूँ. वहां पर सडक चलते लोगों के प्रति ड्राईवर लोगों की सहृदयता देख कर मैं दंग रह गया था.

हिन्दुस्तान में भी हमें समय की पाबंदी, राहगीरों के प्रति सहृदयता अदि आयात करने की जरूरत है. लेकिन इसके बदले हो यह रहा है कि हम "चड्डी उतरवाने" की भ्रष्ट संस्कृति को आयात कर रहे हैं. अफसोस की बात यह है कि "आजादी" के नाम पर दसबीस चिट्ठाकार इस "अराजकत्व" के आयात को बडा प्रोत्साहन दे रहे हैं.

सस्नेह -- शास्त्री

-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.

महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)

gravatar
mamta said...
17 February 2009 at 6:02 am  

पहला वीडियो थोड़ा clear नही है , पर दूसरे वीडियो से समझ आया ।

gravatar
Anonymous said...
17 February 2009 at 6:42 am  

बहुत सुन्दर.. पक्षी की आवाज बहुत अच्छी रिकॉर्ड हुई..

सार्वजनिक जीवन में अनुशासन तो पश्चिम से सिखाना होगा..

gravatar
seema gupta said...
17 February 2009 at 6:52 am  

ओर जो पत्ते सडक पर गिरे है थोडी देर मै कोई नागरिक इसे खुद ही साफ़ कर देगा, क्या हमारे देश मै यह जो वेलेंटेन डे मनाने वाले है, या जो अगरेजॊ की नकल करते है कया वो ऎसा करते है?
" ये शब्द जरुर विचारणीय हैं.....पक्षी की आवाज बहुत अच्छी लगी..."

Regards

gravatar
कुश said...
17 February 2009 at 6:53 am  

शायद वहा पर जब परिवार साथ होता है तो ऐसा नही लगता कि कोई शादी है..पर आपकी बात से भी सहमत हू..

gravatar
आलोक सिंह said...
17 February 2009 at 7:17 am  

प्रणाम
बहुत सुंदर चलचित्र दिखाया आपने , आप का कथन एकदम सही है यहाँ पर गाड़ी चलाने वाले इन्सान को नही बचाते है और अगर टक्कर लग जाए तो गाली अलग देते है तो पंछी और जानवर तो बहुत दूर की बात है . ध्वनी प्रदूषण तो ऐसा है की गाड़ी में प्रेशर हार्न लगवा कर बिना वजह बजाते हैं . सत्य है हम पश्चिम देशो से अच्छाई नही केवल बुराई लेना पसंद कर रहे है . लड़के छोटी उमर में ही सिगरेट और शराब पीना सिख रहे हैं , लड़कियां कम और तंग कपड़े पहनना पसंद कर रही है . पता नही हम कहा जा रहे हैं और कहा जाना चाहते है .
धन्वाद

gravatar
ताऊ रामपुरिया said...
17 February 2009 at 7:22 am  

जी, हम तो फ़िरंगियों की हर गंदी बात का अनुसरन करेंगे और हर अच्छी बात को नही मानेंगे.

रामराम.

gravatar
डॉ .अनुराग said...
17 February 2009 at 8:54 am  

sameer ji se sahmat hun....

gravatar
Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
17 February 2009 at 10:18 am  

अच्छाई और बुराई हरेक समाज में मौजूद हैं. किन्तु किसी की अच्छाईयों को ग्रहण करने की अपेक्षा मानव मन सदैव उसके बुरे पक्ष की ओर ही आकर्षित होता है.

gravatar
विधुल्लता said...
19 February 2009 at 6:12 pm  

ek din aayegaa...jab aesaa bhi hogaa...badhiyaa post sundar aur jaankaari bhari...bahut dino baad net par aai hoon dhire-dhire padhungi aabhaar

gravatar
hem pandey said...
21 February 2009 at 11:54 am  

विदेशी संस्कृति के उजले पक्ष को ग्रहण करना चाहिए. -ईश्वर हमें ऐसी सद्बुद्धि दे.

gravatar
Sunpagli said...
7 May 2015 at 6:45 pm  

Very good video

Post a Comment

Post a Comment

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये

टिप्पणी में परेशानी है तो यहां क्लिक करें..
मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय