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दादी मां

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आप सब के साथ शायद ऎसा ना होता हो, लेकिन हमारी जगत दादी माँ के साथ हमेशा कुछ ना कुछ होता है, आज फ़िर से ऎसा ही कुछ हुआ, लेकिन पढने से पहले इस कहानी से कुछ शिक्षा भी मिलती है, उस पर जरुर धयान देवें


कल दिपावली है, ओर गाव मै दादी के पास सारा परिवार आया हुआ था, सभी घर की साफ़ सफ़ाई मै लगे हुये थे, तीन दिन से यही चल रहा था, ओर घर की ओरते भी घर मै आज सुबह से ही मिठाईयां बनाने पर लगी थी, कल के लिये सभी के नये कपडे आये हुये थै, दोनो भाईयो के , उन की पत्नियो के ओर सभी बच्चो के लिये तीनो ननद के लिये भाभियां शहर से ही नयी साडियां ले कर आई थी.दादी मां ओर दादा जी के लिये भी नये कपडे छोटा बनबा लाया था, दादी मां के कपडे तो सही नाप के बने थे, लेकिन दादा जी का पेजामा थोडा लम्बा बना था.

दादी ने बडी बहुं को आवाज दे कर कहां बहु , बेटा अपने ससुर का पेजामा नीचे से दो उंगल काट कर छोटा कर देना, ताकि कल जब पहने तो नाप सही आये,तो बडी बहुं ने वही से जवाव दिया मां मेरे पास समय नही अभी मै मिठाई बना रही हूं, तो दादी ने छोटी बहू को आवाज दी, ..... छोटी बहुं ने भी कहा मां मै तो गुजिया बना रही हुं मेरे पास भी समय नही,फ़िर दादी ने बडी बेटी को आवाज मार कर कहा बेटी अपने बाप का पेजामा दो उंगल काट कर छोटा कर देना, बडी ने कहा मां मै तो छत साफ़ कर रही हुं मेरे पास तो बिलकुल भी समय नही, फ़िर छोटी बेटी ओर दोनो पोतियो ने भी जवाव दे दिया,
यह सब बाते दादा ने भी सुनी, ओर अपना पेजामा ले कर दर्जी से छोटा करवा कर दुवारा कील पर टांग दिया, शाम को दादी ने सोचा बच्चे थक गये है, सो किसी तरह से उठ कर खुदी ही दादा का पेजामा काट कर ठीक कर दिया, ओर फ़िर वही रख दिया थोडी देर बाद बडी बहु जब काम खत्म कर के हटी तो सोचा सुबह बाबुजी ने पेजामा पहनाना है लम्बा पेजामा ठीक नही लगेगा, सो उन्होने भी २ उंगल नाप कर काट दिया, इसी तरह से सब ने बिना एक दुसरे को पुछे अपना अपना फ़र्ज पुरा कर दिया.

सुबह जब दादा नहा कर निकले तो अपना पेजामा ढ्ढने लगे , दादी ने कहा अरे मेने यही तो रखा था उसे ठीक कर के, दादा बोले अरे किसे ठीक कर के वह तो मै खुद ही ठीक करवा लाया था, इन की बात सुन कर बडी बहु ने कहा मेने भी ठीक कर दिया था, ओर इस के साथ ही सब ओरते हम ने भी हम ने भी ठीक कर दिया था, ओर दादा जी की समझ मे अब सारी कहानी आ गई की जो नया लम्बा कच्छा उन्होने पहना है, असल मे वो तो उन का पेजामा था, ओर सब बात पता चलने पर खुब ठहके मार मार कर हंसने लगे, ओर फ़िर जल्दी से दाद जी के लिये नया पेजामा ले कर आये... ओर फ़िर सब ने मिल कर वह दिपावली खुशी खुशी मानई

हम सब को अपनी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिये, ओर एक बार इन्कार करने के बाद दुवारा काम शुरु करने से पहले उसे बता देना चाहिये जिसे हम एक बार इन्कार कर चुके है

भगवान विष्णु जी ओर माता लक्ष्मी जी की एक कहानी.

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कहानियां कथा हमे शिक्षा देने के लिये ही होती है, इस लिये हमे इस बहस मै नही पडना चाहिये कि ऎसा नही हो सकता या यह बस एक कल्पना है, या यह एक अंध विश्च्वास है, जेसे बाजर मै जा कर हम अपनी पसंद का ही समान लेते है वेसे ही हमे भी इन कहानियो ओर कथाओ से अपनी पंसद का ग्याण ले लेना चाहिये।

आज की यह कथा दिपावली पर है ओर आशा करता हुं , आप इस से कुछ ना कुछ जरुर प्राप्त करेगे, ओर इस कथा के साथ साथ मै आप सब को दिपावली की बधाई देता हुं, भगवान से आप सब के लिये शुभकामनाये चाहता हूं आप सब को दिपावली हंसी खुशी आये, ओर दीपो के समान आप सब के जीवन मै से अंधेरा मिटा कर रोशनी करे, आप सब खुश रहै। शुभ दिपावली.

भगवान विष्णु जी ओर माता लक्ष्मी जी की एक कहानी।

एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन मै किया, वेसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !!आज सुबह सुबह कहा जाने कि तेयारी हो रही है?? विष्णु जी ने कहा हे लक्ष्मी मै धरती लोक पर घुमने जा रहा हुं, तो कुछ सोच कर लक्ष्मी मां ने कहा ! हे देव क्या मै भी आप के साथ चल सकती हुं???? भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा एक शर्त पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो तुम धरती पर पहुच कर उत्तर दिशा की ओर बिलकुल मत देखना, इस के साथ ही माता लक्ष्मी ने हां कह के अपनी मनवाली।


ओर सुबह सुबह मां लक्ष्मी ओर भगवान विष्णु धरती पर पहुच गये, अभी सुर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी, चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी, उस समय चारो ओर बहुत शान्ति थी, ओर धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी, ओर मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध हो कर धरती को देख रही थी, ओर भुल गई कि पति को क्या वचन दे कर आई है?ओर चारो ओर देखती हुयी कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला।

उत्तर दिशा मै मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया, ओर उस तरफ़ से भीनी भीनी खुशबु आ रही थी,ओर बहुत ही सुन्दर सुन्दर फ़ुल खिले थे,यह एक फ़ुलो का खेत था, ओर मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत मे गई ओर एक सुंदर सा फ़ुल तोड लाई, लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो मै आंसु थे, ओर भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पुछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिये, ओर साथ ही अपना वचन भी याद दिलाया।

मां लक्ष्मी को अपनी भुल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से इस भुल की माफ़ी मागी, तो भगवान विष्णु ने कहा कि जो तुम ने जो भुल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी?? जिस माली के खेत से तुम नए बिना पुछे फ़ुल तोडा है, यह एक प्रकार की चोरी है, इस लिये अब तुम तीन साल तक माली के घर नोकर बन कर रहॊ, उस के बाद मै तुम्हे बैकुण्ठ मे वपिस बुलाऊंगा, मां लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुका कर हां कर दी( आज कल की लक्ष्मी थोडे थी?

ओर मां लक्ष्मी एक गरीब ओरत का रुप धारण करके , उस खेत के मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपडा था, ओर मालिक का नाम माधव था, माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी , सभी उस छोटे से खेत मै काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे,

मां लक्ष्मी जब एक साधारण ओर गरीब ओरत बन कर जब माधव के झोपडे पर गई तो माधव ने पुछा बहिन तुम कोन हो?ओर इस समय तुम्हे क्या चाहिये? तब मां लक्ष्मी ने कहा ,मै एक गरीब ओरत हू मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मेने कई दिनो से खाना भी नही खाया मुझे कोई भी काम देदॊ, साथ मै मै तुम्हरे घर का काम भी कर दिया करुगी, बस मुझे अपने घर मै एक कोने मै आसरा देदो? माधाव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मै तो बहुत ही गरीब हुं, मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुस्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटिया होती तो भी मेने गुजारा करना था, अगर तुम मेरी बेटी बन कर जेसा रुखा सुखा हम खाते है उस मै खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।

माधाव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपडे मए शरण देदी, ओर मां लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नोकरानी बन कर रही;

जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उस से दुसरे दिन ही माधाव को इतनी आमदनी हुयी फ़ुलो से की शाम को एक गाय खरीद ली,फ़िर धीरे धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खारीद ली, ओर सब ने अच्छे अच्छे कपडे भी बनबा लिये, ओर फ़िर एक बडा पक्का घर भी बनबा लिया, बेटियो ओर बीबी ने गहने भी बनबा लिये, ओर अब मकान भी बहुत बडा बनाबा लिया था।

माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है, इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत आ गई है मेरी, ओर अब २-५ साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर मै ओर खेत मै काम करती थी, एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके घर आया तो उस ने अपने घर के सामने दुवार पर एक देवी स्वरुप गहनो से लदी एक ओरात को देखा, ध्यान से देख कर पहचान गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चोथी बेटी यानि वही ओरत है, ओर पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी है.
अब तक माधव का पुरा परिवार बाहर आ गया था, ओर सब हेरान हो कर मां लक्ष्मी को देख रहै थे,माधव बोला है मां हमे माफ़ कर हम ने तेरे से अंजाने मै ही घर ओर खेत मे काम करवाया, है मां यह केसा अपराध होगया, है मां हम सब को माफ़ कर दे

अब मां लक्ष्मी मुस्कुराई ओर बोली है माधव तुम बहुत ही अच्छे ओर दयालु व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेती की तरह से रखा, अपने परिवार के सदस्या की तरह से, इस के बदले मै तुम्हे वरदान देती हुं कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की ओर धन की कमी नही रहै गी, तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हक दार हो, ओर फ़िर मां अपने स्वामी के दुवारा भेजे रथ मे बेठ कर बेकुण्ठ चली गई

इस कहानी मै मां लक्ष्मी का संदेशा है कि जो लोग दयालु ओर साफ़ दिल के होते है मै वही निवास करती हुं, हमे सभी मानवओ की मदद करनी चाहिये, ओर गरीब से गरीब को भी तुच्छ नही समझना चाहिये।

शिक्षा..... इस कहानि मै लेखक यहि कहना चाहता है कि एक छोटी सी भुल पर भगवान ने मां लक्ष्मी को सजा देदी हम तो बहुत ही तुच्छ है, फ़िर भी भगवान हमे अपनी कृपा मे रखता है, हमे भी हर इन्सान के प्र्ति दयालुता दिखानि ओर बरतनि चाहिये, ओर यह दुख सुख हमारे ही कर्मो का फ़ल है
एक बार फ़िर से आप सब को दिपावली की शुभकामनऎ, आप सब को मां लक्ष्मी का आशिर्वाद मिले आप सब को भगवान विष्णु खुश रखे, बिना जुआ खेले बिना कोई गलत काम किये इस दिपावली को परिवार के साथ मानाये ओर किसी की आंख से एक आंसु पोछे फ़िर देखे कितना मजा आता है इस दिपावली का
धन्यवाद

भारत की प्रसिद्ध मस्जिदो की सुची

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मुझे मेरे एक लेख पर दो टिपण्णीयां मिली थी, जिन का जबाब मै जल्द ना दे सका, माफ़ी चाहता हूं पहली टिपण्णी श्री मान दिलीप कवठेकर जी की थी, ओर इन की टिपण्णी से सहमत थे श्रीमान पलिअकरा जी, आज समय मिला , ओर मेने फ़िर से अध्यन कर के यह सब खोजा ...पहले आप की टिपण्णी फ़िर उन का जबाब.

दिलीप कवठेकर जी ,जहाँ तक मेरी जानकारी है, भोपाल की ताज-उल-मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है. नापी नहीं , मगर दोनों विजीट कर चुकां हूँ , अंदाज़ से भी ताज-उल-मस्जिद बड़ी लगती है. कृपया एक बार फ़िर देखें और तसल्ली कर सकते है, क्योंकि हमने अपने बालपन में भोपाल में स्कूल में पढ़ते हुए तो हीसुना था, हो सकता है, सही ना हो.



पलिअकरा जी, दिलीप कवठेकर जी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. एक पोस्ट और सही. लिखते रहिए. आभार.

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दिलीप कवठेकर जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद, आप की बात कुछ हद तक सही है, ओर मै पुरी जानकारी फ़िर से दे रहा हुं, कोई गलती हो तो जरुर सुधारे, आप का धन्यवाद

भारत की प्रसिद्ध मस्जिदो की सुची

१,जामा मस्जिद, यह मस्जिद दिल्ली मै स्थित है, ओर भारत की विशालतम( सब से बडी , ऊची नही)मस्जिद है, इस शहजहाम ने बनबाया था,इस मस्जिद को बनबाने मै करीब ६ साल लगे थे, ओर अरबो रुपये का खर्च हुआ था, यह रेतीले ओर सफ़ेद पत्थरो से बनी है, ओर इस के उत्तर ओर दक्षिण की ओर दो दुवार ही इस की विशेषता है,



२. ताज उल मस्जिद...

भारत की सब से ऊंची मस्जिद है ताज उल मस्जिद, भोपाल मै स्थित, इसका प्रवेश दुवार गुलाबी रंग का है, इस दुवार के उपर दो सफ़ेद गुंबद बने हुये है, यह गुंबद ऊपर की ओर है जेसाकी बाकी होते है, लेकिन इन की विशेषता है कि यह माना जाता है कि यह खुदा की ओर जाने का रास्ता है,पेसे के अभाव से काफ़ी समय इस का निर्माण रुका रहा था, लेकिन १९७१ मै यह मस्जिद पुरी तरह से बनी, ओर इस मे बच्चो के लिये मदरसा भी है.




३.कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद...
यह मस्जिद भी दिल्ली मै है,इसे कुतुबद्दीन ऎबक ने ११९२ मे बनवाना आरंभ किया, लेकिन कुतुबद्दीन के बाद इसे इल्तुतमिश नै १२३० मै फ़िर अलाउद्दीन खिलजी ने१३१५ मै पुरा करवाया, यह इस्लामिक कला कारी का बेजोड नमूना है,इस मस्जिद मै राय पिथोडा स्थित कई हिन्दु मंदिरो के स्तंभ लागये गये है, इस कारण इस मस्जिद मै हिन्दु कला की छाप भी मिलती है,

आप जेसे जेसे इस मस्जिद मै प्रवेश करते है, आप का ध्यान बरबस ही इस की गोलाकार छतो पर जाता है, इस के निर्माण मै बढोतरी करते हुये कुतुबद्दीन के दामद ने मस्जिद के तीन मेहराबो को बढा कर पांच कर दिया, जहा नमाज अदा की जाती है,इमाम जमीम सिकंदर लोदी उस समय धर्म गुरु थे मुस्लमानो के, उन का मकबरा भी बहुत हि सुन्दर बना है यहां पर.

४. मोती मस्जिद
सफ़ेद पत्थरो से निर्मित यह मस्जिद १८६० मे सिंकदर जहां बेगम ने बनवाई थी, यह भोपाल मे स्थित है, ओर बहुत ही सुन्दर कारीगरी की गई है.

५. अढाई-दिन का झोपडा...
इस मस्जिद को बनबाने मे कहते है सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे, ओर यह मस्जिद अजमेर मै बनी है,इस से कई बातें प्रचलित है, ओर अब अर साल यहा (ढाई) अढाई दिन का मेला लगता , इस का नाम इस के निर्माण के कारण ही अढाई दिन का झोपडा पडा है,यहां पहले बहुत बडा संस्कृत का बिद्धालया था, ११९८ मे मोहम्म्द गोरी ने उस पाठशाला को इस मस्जिद मै बदल दिया, ओर इस का निर्माण थोडा सा फ़िर से करवाया,ओर अबु बकर ने इस का नकशा तेयार किया था, मस्जिद का अन्दर का हिस्सा मस्जिद से अलग किसी मंदिर की तरह से लगता है.

५.जमाली कमाली मकबरा...
इस मस्जिद का निर्माण सिकंद्र लोदी के समय १५२८ ईस्वी मे शुरु हुआ था ओर हुमाऊ के समय१५३६ मै पुरा हुआ,, जमाली एक सुफ़ी संत थे ओर वह सिकंदर के दरवार मै थे, ओर काफ़ी समय बाद वह हुमाऊ के समय मोत को मिलेयह मकबरा मस्जिद के पिछले हिस्से मै बना है,लेकिन इस की दिवारे ओर छत बहुत ही सुन्दर है, ओर इस मस्जिद की मरम्मत अभी हुयी है

६. जामी मस्जिद
यह अजमेर मे है इसे शाहजहां का मस्जिद भी कहते है, यह मस्जिद करीब ४५ मीटर लम्बी है, ओर इस की ११ मेहराबै है ओर इस का पत्थर मकराना से मगंवाये गये थे.


ताऊ की चलाकी

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ताऊ की चालाकी
एक समय की बात है, जब ताऊ जवान हुआ करता था,ताऊ घर पर सोया था, ओर उधर नहर वाले खेत के पास से तीन अजनबी लोग गुजर रहे थे, दोपहर का समय था, ओर आसपास भी कोई नही था,अब तीनो ने सोचा चलो खेत मे चने लगे हे, ओर आसपास भी कॊई नही, ओर हमे भूख भी लगी हे, तो चने खाये जाये, यह तीनो लोग मे से एक ब्राह्मण था, एक क्षत्रिय था, ओर एक नाई, बहुत सोच समझ के बाद तीनो ने चने उखाडे ओर वही बेठ के खाने लगे.

ताऊ घर मे बेठा मक्खी मार रहा था, तभी ताई ने कहा जा जरा खेतो मे देख आ कोई जानवार ना घुस गया हो, बात ताऊ के दिमाग मे आगई, ताऊ लठ्ठ ले कर खेतो की तरफ़ चल पडा, अब ताऊ ने दुर से देखा कि तीन लोग चने के पोधे उखाड उखाड कर फ़सल खराब कर रहे है, खाते कम ओर नुक्सान ज्यादा कर रहे हे, गुस्सा तो ताऊ को बहुत आया, फ़िर ताऊ ने चारो ओर देखा, आसपास कोई नजर भी नही आया, अब ताऊ ने सोचा कि सीधा जाकर अगर मेने लडाई की तो यह तीन है, ओर मै अकेला कही यह भारी ना पड जाये, तो फ़िर ताऊ ने अपनी बुद्धी का प्रयोग किया, केसे??

ताऊ गया उन के पास ओर पहले आदमी से बोला भाई साहब आप कोन, जबाब मे उस ने कहा मे एक ब्राह्मण हुं, तो ताऊ बडा खुश हुआ, बोला महा राज आप ने तो मेरा खेत ही पबित्र कर दिया अरे मुझे हुकम देते मे घर पर छोड आता, खाईये जितना चाहे,ओर हां अगर आप को घर के लिये भी चाहिये तो मे अपनी बेलगाडी से आप के घर पर चार पांच गठरी चनो की छोड आऊगां
फ़िर ताऊ दुसरे आदमी के पास गय, ओर बोला भाई सहाब आप कोन? तो उसने कहा मै क्षत्रिय हुं, इतना सुनते ही ताऊ बोला अरे कुवर जी आप तो हमारे अन्नदाता है, मेरे कितने अच्छॆ भाग्या है मेरे कुवरं साहब पाधारे आप भी खाईये जितना चाहे, अगर घर के लिये भी चाहिये तो हुकम मेरे महाराज कुवर साहव, अब आप खाईयेमै जरा इन से बात कर लू, फ़िर ताऊ तीसरे के पास गये, ओर बोले भाई साहब आप कोन तो तीसरा आदमी बोला जी मै नाई.

अब ताऊ बोला नाइ तेरी हिम्मत केसे हुयी मेरे खेत मे घुसने की बोल ससुरे, इन ब्राह्मण ने चने उखाडे यह हमरे पुजनिया है, हमारे व्याह शादी पर , किसी के मरने पर, दुख सुख मे हमे कथा सुनाते हे काम आते है, ओर यह कुवर साहब तो हमारी सरकार है, हमारे राजा, यह भि दुख सुख मे हमारे काम आते है, पर कमीने तु किस काम का ओर ताऊ नेउस हज्जम को जर्मन लठ्ठ से खुब बजाया,ब्राह्मण ओर क्षत्रिय दोनो नाई को पिटाता देख कर खुश हो रहे थे, जब ताऊ ने नाई को अच्छी तरह से बजा दिया तो उसे टागं से पकड कर खेत से बाहर फ़ेंक दिया,फ़िर ताऊ आया उस क्षत्रिय की तरफ़, ओर बोले क्यो कुवरं जी क्या खेत मेबीज तुम्हारे बाप ने दिया था, ओर खाद आप ने दादा ने दी थी, बोलो क्षत्रिय बोला नही तो , तौ बोला ब्राह्मण तो हमारे पुज्निय ठहरे , लेकिन आप ने फ़िर क्यु उखाडे हमारे चने, हे बोलो ओर फ़िर ताऊ ने अपना लठ्ठ उस क्षत्रिय पर खुब मांजा,क्षत्रिय को पिटाता देख कर नाई ओर ब्रह्माण बहुत खुश हुये, नाई मन ही मन कह रहा था साले जब मेरी पिटाई हुयी तो बहुत खुश था अब तु भी पिट, ओर ताऊ ने उसे भी मार मार के लाल कर दिया, उधर ब्राह्नाण कह रहा था कमीने को ओर मार अपने आप को कुवरं साहब मान रहा था, तो ताऊ ने उसे भी इतना मारा कि बेचारे से खडा भी ना हो पाया जा रहा था, ओर उसे भी टांग से पकड कर नाई की बगल मे फ़ेंक दिया.

उधर क्षत्रिय सोच रहा था अब गाव मे जा कर यह ब्राह्माण हम दोनो की खिली उडायेगा, देखो नाई ओर क्षत्रिय खुब पिटे, ओर हमे देख देख कर खुश भी हो रहा था, हे भगवान इस की भि पिटाई करवा,ओर अब ताऊ चले ब्राह्माण की ओर , ओर बोले पूजनीय जी अब आप की भी पुजा हो जाये तो केसा रहेगा,क्यो मेरे पुजनिया क्या यह खेत युही तेयार हो जाता है क्या, अरे इस मे बीज डालना पडता है, खाद डालनी पडती है, फ़िर मेहनत ओर फ़िर इस की हिफ़ाजत करनी पडती है, जब आप पुजा वगेरा करते हो तो कोई एक पेसा भी कम लेते हो?? बोलो... ओर ताऊ होगया चालू उस ब्राह्माण कि पुजा करने केलिये., ओर फ़िर ताऊ ने खुब पुजा की उस ब्राहमण की.....

शिक्षा:...अगर यह तीनो मिल कर रहते तो क्या इन की धुनाई हो सकती थी?? नही ना तीनो मिल कर एकता से नही रहे ओर बेज्जती ओर पिटाई करवाई, तो मेरे देश के वासीयो आप भी अपिस मे मत लडे सब मिल कर रहे, ओर मिल कर इन आतंकवादियो का मुकवला करे , इन गंदे नेताओ का मुंह काला करे इन्हे हटाये, लेकिन पहले आपस मे लडना बन्द करे , यह सन्देश सब भारत वासियो के लिये है, चाहे वो हिन्दु है, या मुसल मान,या फ़िर सिख ईसाई. आओ ओर इस विदेशी ताऊ( हमारे वाला ताऊ नही) से पिटने की व्ज्याए हम सब मिल कर उसे ही पीटे.
कॊइ गलती हो तो माफ़ करे, यह कहानी मेने कुछ अलग रुप मे कई साल पहले कही सुनी थी.
धन्यवाद

दादी मां

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भाई अब तो आप सब लोगो को दादी मां से खुब प्यार हो गया होगा, मेने मह्सुस किया है, तो चलिये आज फ़िर से हम आप को दादी मां से मिलवाते है...

एक बार दादी के पोते पोतियां सब उस से मिलने गावं मे आये, दादी मां बहुत खुश थी, सारा दिन घर मे खुब शोर शरावा, उधम मचाते बच्चे इधर उधर भागते बच्चे, कभी कभी दादी भी सब बच्चो के साथ बच्चा बन जाती, दादी रोजाना नयी से नयी कहानिया सुनाती, एक दिन बच्चो ने कहा कि दादी आज हम शहर जायेगे ओर दादी मां को भी साथ ले जायेगे.

दुसरे दिन सुबह सब तेयार हो गये, ओर दादी मां ने सब बच्चो को समझाया कि कोई भी बच्चा शरारत नही करेगां, ओर सब साथ साथ रहेगे, अब दादी मां ओर चारो बच्चे दो पोतियां ओर दो पोते जो सभी १६ से १३ साल के अन्दर थे, ओर फ़िर बस पकड कर सब साथ बाले कस्वे मे चले गये,सब ने दादी के साथ खरीदारी की, ओर फ़िर फ़िल्म भी देखी फ़िल्म देख कर सब बहुत खुश थे, तभी दादी ने कहा आओ बच्चो तुम्हे ठण्डी ठण्डी लाल पीली सोडे की बोतल पिलाऊ, ओर सामने की दुकान पर गई, पीछे से बच्चे आवाज मारते रहे, ओर दादी को भी यह दुकान कुछ अजीब सी लगी, लेकिन जब ऊपर लिखा है कि ठण्डी फ़्रिज की बोतल तो ठीक ही है, ओर दादी ने सामने की खिडकी पर बेठे एक लडके से कहा बेटा सब को एक एक ठण्डी ठण्डी बोतल देदै, अब अन्दर बेठा लडका भी कांपने लगा, ओर बिन बोले ही दादी को देखने लगा, दादी ने कहा मुये बंदर की तरह से क्या ठुकर ठुकर क्या देखे जा रहा है, जल्दी से बोतल निकाल, ओर अन्दर बेठा लडका अब बहुत डर गया,

तभी पीछे से दादी क पोता आया ओर बोला दादी दादी रुको यह देखो यह तो देशी दारु की दुकान है, अब वो अन्दर बेठा लडका भी थोदा मुस्कुराया, ओर दादी बोली कमबखत पहले क्यो नही , ओर फ़िर दादी खुद ही खुब हंसी, तभी उस ठेक के अन्दर से एक ओर आदमी आया ओर दादी मां को ओर बच्चो को कोला दे कर वह भी हंसने लगा, यही तो दादी मां का प्यार

मां

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मां का मान
बाग के माली ने कहा...... मां एक बहुत ही खुब सुरत फ़ुल है, जो पुरे बाग को खुशवु देती है.
आकाश ने कहा ......मां अरे मां तो एक ऎसा इन्द्र्धनुष है, जिस मै सभी रंग समाये हुये है.
कवि ने कहा....... मां एक ऎसी सुन्दर कविता है, जिस मै सब भाव समाये हुये है.
बच्चो ने कहा................मां ममता का गहरा सागर है जिस मे बस प्यार ही प्यार लहरे मार रहा है.
वाल्मीकी जी ने कहा.......मां ओर मात्र भुमि तो स्वर्ग से भी सुन्दर ओर पबित्र है.
वेद व्यास जी ने कहा.....मां से बडा कोई गुरु इस दुनिया मै नही.
पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा.... मां वो हस्ती है इस दुनिया की जिस के कदमो के नीचे जन्नत है.

कुछ सब से जुदा

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मियां बीबी समुन्दर के किनारे घुम रहे हे....
बीबी, जी इसे बीच क्यो कहते हे ?
मियां, अरे तुम्हे नही पता,? बात यह हे की यह जमीन ओर आसमान के बीच मे हे ना इस लिये इसे बीच कहते हे।

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हंसी के लिये गम कुरबान....
खुशी के लिये आंसु कुरबान,
दोस्त के लिये जान कुरबान,
ओर आज के जमाने मे
अगर दोस्त की गर्ल फ़्रेन्ड मिल जाये



तो साला दोस्त भी उस पर कुरबान


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एक बार अमृतसर स्टेशन पर बहुत ही बडी दुर्घटना घट गई, ट्रेन ने नीचे बहुत से लोग आ गये बस एक सरदार जी बचे, अब रिपोर्टर उन सरदार जी से तरह तरह के सवाल पुछ रहे हे, वही इक्लोते बचे थे इस दुर्घटना मे जिन्दा, ओर आंखो देखा हाल सुना रहे थे....
एक रिपोर्टर अच्छा सरदार जी आप बतायेगे यह सब अचानक केसे हो गया ?
सरदार जी , ओये जी होना क्या था, अचानक आंउसमेन्ट हुई की दिल्ली जाने बाली ट्रेन प्लेट फ़ार्म दो पर आ रही हे, तो सारे लोग झट से पटरियो पर कुद गये ओर तभी पटरियो पर ट्रेन आ गई ओर सब नीचे आगये,
रिपोर्टर, फ़िर आप केसे बच गये ? लगता हे आप समझ दार थे जो कुदे नही !!!!!
सरदार जी, ओये जी नही मे तो आत्महत्या करने आया था जब मेने सुना कि ट्रेन प्लेट्फ़ार्म पर रही हे तो मे झट से प्लेटफ़ार्म पर आगया था????

शराबी जमीं पै

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एक शराबी फ़िल्म **तारे जमीं पर** देख कर आधी रात को घर लोटा ता है ओर साथ साथ मे गुनगुना रहा है... आप भी सुने अरे नही मेने सुना ओर अब यहां लिखा दिया अब आप भी पढे उस गरीब शराबी के मन का दुख....
शराबी जमीं पै.....


मै कभी बतलाता नहीं...
ठेके पे रोजाना जाता हूं मै मां.......
युं तो मे दिखलाता नही.....
दारू पी कर रोज आता हुं मै मां........
तुझे सब हे पता, हें ना मां....
तुझे सब हे पता, मेरी मां....


ठेके पै युं ना छोडो मुझे......
घर लोट के भी आ ना पाऊं मै मेरी मां.....
पाऊआ लेने भेज ना इतना दुर मुझे तु....
नशे मे घर भी ना भुल जाउ मै मां.....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.... मेरी मां....


स्काच मे इतना पीता नही.....
एक पेग से सहम जाता हु मै मां
चेहरे पे आने देता नही....
लेकिन कभी कभी लुडक जाता हुं मै मां....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.... मेरी मां.... ............................

भारत मे सब से बडी मस्जिद कहां हे ओर कितनी पुरानी हे??

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भारत की सबसे बडी मस्जिद कहा हे, किस ने बनबाई, ओर कितनी पुरानी हे, क्या आप जानते हे?
भारत मे दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सब से बडी मस्जिद हे, जिस को बादशाह शाहं जहा ने १६४४ मे बनवाया था ओर यह मस्जिद १६५८ तक बन गई थी , इस का पुराना नाम मस्जिंदे जहांनुमा हे, मस्जिद के उतरी भाग मे एक अलमारी मे बेशकिमती चीजे रखी हे, जेसे हिरन की खाल पर लिखा कुरान,मोहम्मद साहिब की दाढी का बाल,उनकी चप्प्ले, ओर भी काफ़ी कुछ उनके पाव का निशान भी एक संगमरमर के पत्थर पर अंकित हे.

दादी मां

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दादी मां आज बहुत खुश थी, आज तो गावं मे दादी के घर पर खुब रोनक थी, दादी के सारे बच्चे जो घर आये हुये थे, दोनो लडके अपने परिवार समेत आये थे. दोनो लडको के ३, ३ बच्चे थे, बहुये भी सुशील थी, फ़िर दोनो बेटिया भी अपने परिवार समेत आ गई, ओर आज तो चारो ननद भी आ गई थी परिवार समेत, ओर पुरे घर मे शादी जेसा माहोल था.

सभी बहुत खुश थे, बच्चे शोर मचा रहे थे, कभी इधर कभी उधर, बेटियां ओर बहुंयओ ने भी सारे काम आपिस मे बांट लिये कोई खाना बनाने का काम सम्भाल लेती हे तो कोई घर की साफ़ साफ़ाई मे लग गई, यानि सभी बहुत ही खुश ओर हो भी क्यो ना ? भाई आज से तीसरे दिन दादी का ९० जन्म दिन जो है.

घर मे आने जाने वालो का भी बहुत जम बाडा लगा था, दादी मां के बडे लडके ने जब अलमारी खोली तो उस मे से काफ़ी समान फ़ेकने के लिये निकाला, ओर उस समान के साथ, बडे लड्के के हाथ मे पुरानी दवा भी हाथ लगी जो दवा वह ओर उस का भाई पिछले समय मां को दे गये थे, लडके ने उन मे से पुरानी दवा जिन की मयाद खतम हो चुकी , अलग की ओर बाकी समान सम्भाल कर रख दिया. फ़िर बाहर आ कर इधर उधर देखा तो बुआ नजर आई, बेटा बोला बुआ यह दवा कही सही जगह फ़ेक देना किसी बच्चे के हाथ ना लग जाये. रात काफ़ी हो गई थी, फ़िर गावं मे तो वेसे भी जलदी रात हो जाती है.



दुसरे दिन दोनो भाई शहर मे किसी जरुरी काम से गये, ओर शाम को जब घर मे आये तो, गावं मे घुसते ही उन्हे कुछ अजीब सा लगा, जब घर की तरफ़ गये तो दंग रह गये उन के घर के सामने बहुत भीड, दोनो भाईयो के होश उड गये ओर वह जलदी से घर भागे, तो देखा दादी ओर बुआ दोनो ही मरणसन हालाल मे पडी हे, बिलकुल बेहोश..... दोनो भाईयो को कुछ समझ नही आया कि कुछ समय पहले तो सब राजी खुशी थे अचानक यह सब केसे हो गया, घर मे सभी सहम सहम बेठे थे, भाईयो ने अपनी बी्बीयो से पुछा, बच्चो से पुछा किसी को कुछ पता नही था. क्या हुआ ओर यह अचानक केसे हुआ.



फ़िर भी दोनो भाईयो ने हिम्मत की ओर मां को ले कर रोहतक मेडिकल कालेज पहुंच गये, वहां डाकटरो ने जलदी से चेक किया, ओर उन्हे खुब उलटियां करवाई ओर बताया इन्होने कोई गलत वस्तु खा ली य किसी ने खिला दी हे.लेकिन आप घबराये नही,हमे बहुत उम्मीद हे इन दोनो के बचने की हाः अगर आप थोडा देर से आते तो बचना मुश्किल था.



दोनो बेटे ओर गावं के कुछ ओर लोग भी उन के साथ सारी रात मेडिकल कालेज के बाहर बेठे रहे, ओर बारी बारी से मां ओर दादी मां ओर बुआ को देख आते, ओर फ़िर सारी रात प्राथना करते बीत गई, सुबह सुबह जब छोटा लडका मां को देखने गया, तो थोडी ही देर मे वापिस आ गया ओर सब को दुर से इशारे बुला कर जल्दी से फ़िर अन्दर चला गया.अब सभी चिंतित मन से जलदी से अन्दर भागे ओर अंदर जाते ही सब की आंखे फ़टी रह गई.

छोटा कभी मां तो कभी बुआ से को गले लगा कर बच्चो की तरह से रो रहा था, ओर मां ओर बुआ भी खुब रो रही थी, लेकिन उन्हे पता नही था यहां केसे आ गई.जब सब से मिलना हो चुका ओर सभी को विशवास हो गया कि अब मां ओर बुआ को कुछ नही होगा, इतनी देर मे डाकटर साहब जी भी आ गये,

ओर उन्होने कहा अब हमे पुरी बात जाननी चाहिये, अगर किसी की साजिस हे तो यह केस बनता हे ,



इस लिये कपृया प सब हम लोगो को अकेला छोड दे, सभी लोग बाहर चले गये, डाकटर ने दोनो लडकॊ को भी बाहर भेज दिया.......... दादी की बात सुन कर डाकटर साहिब ने अपना सर पकड लिया, ओर दादी को बहुत कुछ समझाया. फ़िरसब को बुला कर वह बात बातई जिस से इस खुशी के मोके पर अचानक दुख के बादल छा गये.



असल मे जब बडॆ लडके ने बुआ को दवाईयो को फ़ेकने को कहा तो, अनपढ बुआ उन दवाओ को पलु मे बाध कर बेठ गई, दुसरे दिन जब दोनो मां बेटी अलग बेठी तो बुआ बोली मां तुम्हारा बेटा तो पेसे लुटाने लगा हे यह देखॊ कितनी कीमती दवा फ़ेकने को बोल रहा है, जेसे दवा मुफ़त मे आई हो, ओर फ़िर दोनो मां बेटी ने मिल कर आधी आधी दवा पानी के साथ खा ली, बाकी सारा नजारा आप के सामने.....

यह एक सच्ची बात हे, आप भी अपने बुजुर्गो को यह जरुर समझाये कि... ऎसा मत करे. ओर दवा को बच्चो ओर नादनो के हाथो से दुर रखें



फ़िर दादी का जन्म दिन ओर भी खुशी से मनाया गया, ओर वह डाकटर साहिब ओर वह नर्से भी आई जिन्होने उस रात मोत से लडकर दोनो को नयी जिन्दगी दी.

ईसा- मसीहा ओर आई एन आर आई

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जेसे हिन्दुओ मे ऊं शव्द होता हे, वेसे ही ईसाईयो ओर कथोलिको मे क्रास होता हे, आप ने कभी उस क्रास कॊ ध्यान से देखा हे, या इन की कब्र को, या फ़िर कभी ईसा मसीह का बुत देखा हो इन सब जगह पर एक शव्द लिखा होता हे** INRI** क्या आप जानते हे इस का मतलब ? शायद काफ़ी लोग ना जानते हॊ...
इस का अर्थ हे...नैजेरथ के ईसा यहुदियो के राजा,(Iesus Nazarenus Rex Iudaeorum ) जेसे भारत मे या दुनिया मे किसी केदी को उस की पहचान दी जाती हे यह एक पहचान थी, ओर इसी पहचान के साथ उन्हे सुली पर भी चढाया गया था

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय